सोना
सोना
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सोना
मिट्टी खोदकर निकाला
पर
उनके लिए सोना
मिट्टी सरीखा है।
मिट्टी का चूल्हा
बर्तन मिट्टी के
मिट्टी का घड़ा
और अंततःमिट्टी में मिल जाना
बस।
सोना है उनके लिए
भूख की भट्टी में पिघलाकर
गले के जेवर नहीं
हलक की सीढ़ी से पेट में उतरती
एक रोटी , जिसका स्वाद कल फिर लेना हैं अगर
तो धरती के बिछोने पर
आ तंबू के नीचे
रात उसे है जल्दी सोना !!
फिर , जागना होगा
परिंदों की चहचाहट
मुर्गे की बांग
और
मस्जिद की अजान से पहले!!
क्योंकि
कल फिर सुलग उठेगी
उसके हलक के निचले
हिस्से में
अबुझ आग।
