Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Ravv B

Others

2  

Ravv B

Others

सोचो ज़रा ....

सोचो ज़रा ....

1 min
268


नाराज़गी तुम्हारी

क्या सच में सही है ?

या खुद को सही

ठहराने का ये

तरीक़ा नहीं है ।।


काश, रूठने-

मनाने से पहले,

कुछ बिसरी यादों तले

दब गई वो मेरी

बात ही याद रखते,

मैं रहूँ ना रहूँ,

मगर मेरी

ख़ामोशी में भी,

मैं यही हूँ।


सुनो, मुझसे ना,

जल्दी रिश्ते

बनाए नहीं जाते,

और जो बन जाते है

कुछ अधूरे रिश्ते भी, तो

उनसे दामन छुड़ाए

नहीं जाते ।।


ऐसी ही हूँ,

और ऐसी ही रहना है

नहीं बदलना मुझे

खुद को, किसी के लिए।

बस, एक बार रूठने

से पहले ,तुमने

मनाया तो होता

शायद, मुझे

समझना, फिर

इतना मुश्किल

भी ना होता। ।


सोचो ज़रा!

क्या नाराज़गी तुम्हारी

सच में सही है ???


Rate this content
Log in