सन्नाटा
सन्नाटा
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चार सू पसरा है
कितना मनमोहक है ये
सन्नाटा।
भोर की बेला और कलरव खग का
सुरीला इतना कि सरगम सा लगे
कितना मनमोहक है ये पसरा
सन्नाटा।
भरी दुपहरिया में प्रकृति की ये बोली
हमारे कितने अंदर हो ली
कितना मनमोहक है ये पसरा
सन्नाटा।
बाहर न सही अंदर ही सही
जा के खुद को जो सोचा
खुद से खुद का मिलन कितना सौम्य
कितना मनमोहक है ये पसरा
सन्नाटा।
प्यार से मिले प्यार भरे रिश्ते
बातों की खनखनाहट और हँसियों की फुहारें
कितना मनमोहक है ये पसरा
सन्नाटा।
