सन्नाटा
सन्नाटा
मेरे सामने एक सन्नाटा है
क्योंकि मैं एक सन्नाटा बुनता हूँ
एक सन्नाटा बेचता हूँ
कद्रदान मुझे हाथों हाथ लेते हैं
ज्ञानपीठ पुरुस्कार से सम्मानित करते हैं
तब मेरे सामने एक और सन्नाटा होता है
तब मुझे एक सन्नाटा और बुनना पड़ता है
कविता का सौंदर्य शास्त्र
सन्नाटे में खिल उठता है
सत्य और सजीव
मैंने मेरा सच कह दिया
(तुम्हारी तुम जानो)
मैंने अपना शिव प्राप्त कर लिया
(तुम्हारी तुम जानो)
मैं कवि हूँ
इसलिए सन्नाटे में हूँ
