समुन्द्र सी बन जाओ तुम
समुन्द्र सी बन जाओ तुम
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समुद्र सी बन जाओ तुम, अंदर गहराई लाओ तुम,
ऊँची लहरों सी उठ कर अब, अपना मान बढ़ाओ तुम।
सागर की लहरों के जैसा, कुछ करतब दिखलाओ तुम।
कभी शांत होकर दिखलाओ, कभी रौद्र बन जाओ तुम।
कुछ न कहकर भी सबसे, सब कुछ बस कह जाओ तुम,
सुबह तुम्हारी अलग चमक हो, रात को एकदम अलग दमक हो।
अंदर जो बहुमूल्य खजाना, उसको अब बाहर लाओ तुम,
ज्ञान ज्योति के इस प्रकाश को, जन जन तक पहुँचाओ तुम,
बस, समुद्र सी बन जाओ तुम, बस समुद्र सी बन जाओ तुम।