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सोना आँखों में सतरंगी सपने सँजोये उन सुनहरे पलों का इंतज़ार कर रही थी सोना आँखों में सतरंगी सपने सँजोये उन सुनहरे पलों का इंतज़ार कर रही थी
तभी घंटी की आवाज़ सुनकर आयुष पूजा घर की ओर दौड़ जाता है। तभी घंटी की आवाज़ सुनकर आयुष पूजा घर की ओर दौड़ जाता है।
माँ की उलझन उसके माथे की सिलवटों को कम होने ही नहीं दे रही थी माँ की उलझन उसके माथे की सिलवटों को कम होने ही नहीं दे रही थी
बाबूजी इन सब उलझनों से अनजान, अपनी ही सीता राम की माला में लगे थे. बाबूजी इन सब उलझनों से अनजान, अपनी ही सीता राम की माला में लगे थे.