Sandhya Sharma

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अनुसरण

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दिन के उजाले से पहले ही सुधा जी के कमरें में लाइट का उजाला हो जाना, रोज़ की बात थी। सुबह जल्दी उठने का उनका स्वभाव आज दादी बनने के बाद भी बरकरार था। दो चार चक्कर पार्क के लगाने के बाद ही उनके दिन की शुरुआत होती थी। अखवार के साथ कुछ क्षण आराम से बिताने के बाद, नहा धोकर मंदिर का दरवाजा खोलती सुधा जी, बहु को आवाज़ लगाती हैं, रिचा...! मैं पूजा पर बैठने जा रही हूँ, आयुष का ख्याल रखना, जी माँ की आवाज़ के साथ रिचा उन्हें अपना उत्तर देती है, तभी युगल जी की आवाज़ आती है, बेटा आयुष का ध्यान मै रखता हूँ, तुम अपना काम करो। जी पापा ! के उत्तर के साथ रिचा फिर अपने काम में लग जाती है। तभी आयुष की नींद खुल जाती है। 

आयुष अभी 5 वर्ष का है, सभी को उसकी फिक्र रहती है, क्योंकि ये उसके सीखने की उम्र है। बाबा भी अपने अनुभवों से उसे कुछ ना कुछ सीख देते ही रहते हैं। अभी अभी तो उसके दिमाग ने सीखना शुरू किया है। तभी सोनू आकर पापा के पैर छूता है, और देखा देखी आयुष भी बाबा के पेरों में झुक जाता है, पहली बार आयुष का पैर छूना, बाबा को खुशी से भर देता है, और वो उसे ढेरों अशीर्वाद दे डालते है, और नहाने चलें जाते हैं। सोनू आयुष को लेकर बालकोनी में चला जाता है, और उसे चिड़िया, सूरज दिखाने लगता है। रिचा सोनू की चाय और आयुष के दूध के कप के साथ बालकोनी में प्रवेश करती है। सोनू को चाय का कप देकर रिचा आयुष के दूध के कप की तारीफ करते हुये कहती है, "देखा आयुष ! तुम्हारा कप रोज़ मिल्क पीकर कितना स्ट्रांग बन गया है, तुम भी स्ट्रांग बन जाओ", बातों बातों में आयुष जल्दी से दूध खत्म कर देता है। 

तभी घंटी की आवाज़ सुनकर आयुष पूजा घर की ओर दौड़ जाता है, रिचा भी उसके पीछे खडी हो जाती है। आयुष को धीरे धीरे गाते देख रिचा मुस्कुराकर कहती है, अरे! वाह! आयुष, को तो, प्रार्थना याद हो रही है। दादी से प्रसाद लेकर आयुष कूदने लगता है, मिल गई! भगवान जी वाली चॉकलेट। सब अपने काम में लग जाते है, तभी सोनू पूजा घर में प्रवेश करता है, और पूजा करने लगता है, आयुष भी पूजा घर के बाहर ही खेल रहा था। सोनू की पूजा खत्म होते ही सोनू ऑफिस के लिए तैयार होने चला जाता है, और तभी आयुष पूजा घर में घुस जाता है, और पूजा करने लगता है।

आयुष को ना देखकर दादा जी जोर से आवाज़ लगाते हैं, तभी पूजा घर से घंटी की आवाज़ सुनकर सब वहां पहुँच जाते हैं, और आयुष को तोतली आवाज़ में गाते देख सब हाथ जोड़कर खड़े हो जाते है। प्रार्थना के बाद आयुष सबको प्रसाद देता है और कहता है, "ये लिजिए दादी ! भगवान जी वाली चॉकलेट ! इससे दांत खराब नहीं होते", दादी उसे गोद में उठा लेती हैं, और प्यार करने लगती हैं।


  


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