"स्मृतियों के झरोखों "14/12/20
"स्मृतियों के झरोखों "14/12/20
स्मृतियों के झरोखों से,
जब यादों का सैलाब आता है,
खो सी जाती हूँ, मैं सुनहरी यादों में
15 अगस्त या, 26 जनवरी "
में मेरे बचपन के
उत्सव की अमिट छाप है।
हम थे नन्हीं -मुन्नी,
स्कूल की तरफ से हमें,
देना था प्रोग्राम,
हम बच्चों को टीचर ने सिखाया,
भारत का नक्शा बनाना है।
हम सब "प्रभात फेरी"
लेकर ग्राउंड पर पहुंचे,
आई हमारे स्कूल की बारी,
हम बच्चों ने सुना ग्राउंड पर,
लाउडस्पीकर से अपने नृत्य का,
गाना "ये भारत देश है मेरा",
हम बच्चों ने नाचते-गाते जाकर
भारत के नक्शा बनाया
हमने जैसे ही नक़्शा बनाया
ग्राउंड तालियों की गड़गड़ाहट
से गूंज उठी,
ये भारत देश है मेरा,
देश के सबसे बड़े उत्सव की स्मृति
अमिट छाप की तरह है।