समर्पण
समर्पण
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तेरे गुणगान करना,
तो मेरा काम है।
भाव से मुझे छुड़ाना,
तो तेरा काम है।
जिसे केवल तेरा सहारा हो,
उसे सीने से लगाना तो तेरा काम है।
संसार को छोड़ जिसने,
तुझे पकड़ा,
उसको अपना बनाना,
तो तेरा काम है।
कब से बैठा हूं तेरी,
भोली मूरत को देखने।
उसका दीदार कराना तो,
तेरा काम है।
जन्मों से तुमसे मिलने की,
तमन्ना है।
अपने चरणों में मिलाना,
तो तेरा काम है।