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Dr Manisha Sharma

Others

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Dr Manisha Sharma

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समन्दर

समन्दर

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कैसे मान लेते हो 

कि दर्द नहीं होता उन्हें

जब लगती है चोट 

तन या मन पर

क्योंकि लड़के रोते नहीं???


कैसे मान लेते हो 

कि ज़िन्दगी की जंग में

होती नहीं तकलीफ़ कोई 

हारते नहीं कभी वो हिम्मत

क्योंकि लड़के रोते नहीं???


जब अपना कोई छूट जाता है 

तो कैसे मान लेते हो 

कि फ़र्क़ नहीं पड़ता ज़्यादा उन्हें

क्योंकि लड़के रोते नहीं???


जब देखते हैं अपने बच्चों को 

दूर जाते हुए ख़ुद से

तो कैसे मान लेते हो

कि खाली हो जाते हैं वो भीतर से

क्योंकि लड़के रोते नहीं???


वो रोते हैं हर बार

जब जब भीगता है उनका मन

पर उनके आँसू बहते हैं 

मन के कपोलों पर 

धुंधला जाती है हिम्मत 

भीतर ही भीतर


पर उनकी आँखों के कोरों पर 

खड़ी कर दी गयीं हैं 

बड़ी बड़ी दीवारें 

बचपन से यह कहकह कर

कि लड़के कभी रोते नहीं।

देखने हैं तो कभी डूबना 

उनके भीतर 

जहाँ बहता है एक झरना 

 समुन्दर सा ठहरा हुआ



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