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Sushma Tiwari

Others

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Sushma Tiwari

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शृंगार

शृंगार

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एक भावना जो एक खिलाड़ी महसूस करता है

जैसे जब वो फुटबॉल खेलता है

क्या आप उस भावना को जानते हैं?

जब एक कलाकार श्रम करता है

या तब जब वह अपनी उत्कृष्ट कृति को पूरा करता है?

क्या आप उस भावना को जानते हैं

जब वो देखते हैं कि उन दोनों ने कितनी बढ़िया तरह से अपना कार्य पूर्ण किया 

इसे खुशी कहा जाता है,

यह वही खुशी है

जो शृंगार कर मुझे महसूस होती है

हाँ! उम्र की सीमाओं में मत बांधो

कला है ये मुझे खुशी होती है 


संवरना कला है मेरे लिए ,

शृंगार किसी असुरक्षा के बारे में नहीं है,

यह विश्वास के बारे में है, कम से कम मेरे लिए,

शृंगार वह नहीं है जो मुझे सुंदर महसूस कराता है,

यह मुझे सुंदर नहीं बनाता है,

क्यूँकी मुझे पता है कि मैं हर तरह सुंदर हूं,


मैं जब भी संवरती हूं,

यह अभ्यास के लिए है,

मेरे प्रिय को बताने के लिए

मैं खुद की भी प्रिय हूं

उम्र ना तो मेरी कला छीन सकता है

ना ही तो मेरी प्रतिभा

ना ही मेरे सुंदर दिखने की इच्छा

ना ही मेरे जीवन जीने की अभिलाषा 

 


मुझे संवरना उतना ही पसंद है

जितना आप अपनी प्रतिभा से प्यार करते हैं

या आप जो भी पसंद करते हैं,

आपकी प्रतिभा आपके पास है

और मेरे पास है मेरी जीने की इच्छा 

निश्चित रूप से मैं अपनी भावनाओं का वर्णन नहीं कर सकती

क्योंकि भावनाओं को महसूस किया जाना चाहिए,

किन्ही शब्दों में वर्णित नहीं कर पाऊँगी

मैं तो जीना चाहती हूं बस

और यूँ ही खुल कर जीती जाऊँगी 


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