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DR. RICHA SHARMA

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DR. RICHA SHARMA

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श्राद्ध

श्राद्ध

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स्वयं द्वारा श्रद्धापूर्वक अपने

मृत बुज़ुर्गों का तहे दिल से स्मरण

प्रत्येक व्यक्ति के जीवन से देव,

ऋषि, पितृ जुड़े होते हैं ये ऋण


पुराणों के अनुसार श्राद्ध करने से

कर्ता पितृ ऋण से हो जाता है मुक्त

ऋषि तथा देवताओं के कथनों को

सदैव रखें याद तभी होंगे संतुष्ट


चाहे रहें हम फ़र्श या हो निवास अर्श

निभाने हैं हर जगह हमें अपने फ़र्ज

कभी नहीं चुका पाएंगे पूर्वजों के कर्ज

हे प्रभु! बस इतनी कृपा करना कि -

हमें कभी मत बनने देना खुदगर्ज़


श्राद्ध में कोई भी इंसान जब किसी भी

ब्राह्मण को भरपेट भोजन करवाता है

फिर सेवा करने वाला अपनी सात

पीढ़ियों तक कोई भी कष्ट नहीं पाता है


दूध, दही, खीर, पूरी जैसे पकवान

सभी के मन को लुभाते हैं

श्राद्ध में प्रेमपूर्वक खिलाने वाले

जन आनंदमय जीवन पाते हैं


सितंबर माह में आने वाले श्राद्ध

अपने पूर्वजों की दिलाते हैं याद।


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