शिखर पर ! (Hero)
शिखर पर ! (Hero)
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1- उसमें बल बुद्धि विवेक का,
अगणित गागर है।
उस शूरवीर को, कर्मवीर को,
हम सबका आदर है।।
2- वह शून्य से पहुंच चुका है,
आज शिखर पर है।
उसकी बल बुद्धि की गाथा,
हर नगर डगर पर है।।
3- है लौह भुजाओं की ताक़त,
सम्मानित उसमें।
वह क़ैद कर सके सच मानो,
सागर, गागर में।।
4- नायक समाज का अगुआ बन,
रखवाली करता।
खलनायक को सदा वही,
औकात में रखता।।
5- तुममें, हममें, सबमें
वह क्षमता है।
इक पिता सहित माता की,
ममता है।।

