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शीर्षक - शिव के द्वार

शीर्षक - शिव के द्वार

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शीतलता हरियाली से

किया धरा ने श्रृंगार ।

सब यारों की टोली मिलकर

पहुंची शिव के द्वार ।।


मां रेवा के चरणों को छूकर

कैलाश धाम की ओर चले ।

गाये मंगल गीत सुनहरे 

जय जय कारे गूंज उठे।।


इत देखें उत देखें

नैनो को नहीं विराम ।

धरा बन गई हो जैसे

बम भोले का धाम ।।


गूंज उठा मधुर संगीत सृष्टि में

वन उपवन कोयल कूक रही।

रंग सुंगध से रसप्लावित धरा

वसंत आने पर झूम रही।।


कितना सुंदर कितना पावन

है चहूं ओर नजारा ।

दर्शन पाकर शिव शंभू के

हुआ सफल जन्म हमारा ।।



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