शदों का जादू
शदों का जादू
बिखरे हुए अल्फ़ाज़ों को पिरोया जाए,
सोचा एक सूत्र में पिरो कर नज़्म बनाई जाए,
लिखने से पहले मन में विचारों की उथल पुथल की जाए,
फिर अल्फाज़ों को करीने से सोचा जाए।
पर ये क्या? ये तो फिर बिखरे पड़े थे
मन के किसी कोने में बंद थे,
इन्हे समेटना इतना आसान भी नहीं।
ये बिखरे मोती हैं, इन्हे एक धागे में पिरोना है,
एक मोती हाथ आता है तो दूसरा फिसल जाता है,
लिखने बैठो तो कभी कभी ऐसा ही मंज़र होता है,
एक शब्द का सिरा पकड़ो तो दूसरा छूट जाता है,
लेकिन ये शब्द ही है,जो दिल के रास्ते,
कागज़ पर उतर आते हैं,
साथ ही जज़्बातों को बयां कर जाते हैं,
किसी को लेखक तो किसी को कवि बना जाते हैं!
