सैर सपाटा
सैर सपाटा
ग्रीष्म ऋतु का अवकाश है आया
घूमी-घूमी का अवसर है लाया।
सबसे प्यारा लगता हमको यह अवकाश
पूरा सत्र प्रतीक्षा करते, रहते खुशमिजाज।
मम्मी-पापा संग गाड़ी में घूमने जाते
नानी-दादी के घर की सैर कर के आते।
अपनों के संग बीतता हर एक लम्हा
ना होते उदास, ना रहते कभी तन्हा।
घूमने का जब भी अवसर मिल पाता
खुशियों से जीवन को हर्षा जाता।
हर जगह सब जाते संग
नहीं करते हम किसी को तंग।
करते सब हमारी बहुत बढ़ाई
खाने को मिलती ढेरों मिठाई।
नानी, दादी, चाची, मौसी सबका है यह कहना
मिल जुल कर एक-दूजे संग सदा प्रेम से रहना।
चलो चलें फिर करने हम सैर सपाटा
आपसे फिर मिलेंगे अब करते हैं टाटा।
