साकार स्वप्न
साकार स्वप्न
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लगा कहीं देखा था
ज़रा तंग गलियाँ
चाट का ठेला
पानी पूरी की
दोने की बेला
रिश्तेदार का शहर अंजाना
ठहाकों के साथ पानी पूरी खाना
तभी बगल से रिक्शे का जाना
धक्के से उसके दोना गिर जाना
गिरते से बचने का हमारा उपक्रम था।
आया कुछ याद यह तो चंद
दिनों पूर्व का स्वप्न था।
