STORYMIRROR

Ram Chandar Azad

Others

4  

Ram Chandar Azad

Others

ऋतुओं का सरताज़

ऋतुओं का सरताज़

1 min
152

आहट मिली बसंत की, बही सुगंध बयार।

गरमी आवत देखकर, सर्दी हुई फरार।।

सर्दी हुई फरार, धरा ने ली अँगड़ाई।

महके फूल बगान और कलियाँ मुस्कराईं।।

कहता है "आज़ाद" हुई मन में अकुलाहट।

प्रकृति भई निहाल, मिली बसंत की आहट।।


कोयल कूँ कूँ कर उठी, डाल डाल इतराय।

मन मयूर नाचन लगा, हिय के पर छितराय।।

हिय के पर छितराय, शमां कुछ ऐसा बाँधा।

मनहुँ मुरलिया धुन पर, नाचति आवै राधा।।

कहता है "आज़ाद" मस्त मन ऐसो खोयल।

जाग्यौ भयो विहान कर उठी कूँ कूँ कोयल।।


ऋतूराज कहते सभी, तू ऋतुओं में महान।

कविगण सदा बखानते, दे उपमा उपमान।।

दे उपमा उपमान, तेरो गुन- गाथा गाते।

कामदेव की तुम्हें सवारी कह बतियाते।।

कहता है "आज़ाद" ऋतुओ में जो सरताज।

वह देखो आ गया, जिसे कहते ऋतुराज।।



Rate this content
Log in