रण
रण
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हर तरफ फैली विशाल सैन्य है
कही गज तो कही अश्व है लगे हुए।
प्रतिपल तीव्र हो रही सबकी श्वास है
युद्ध में सब ओज से भरे हुए।
न कोई सुध है न कोई बुध
बस विचार विहिन हो बहे हुए।
कही रक्त का समुद्र बह रहा
तो कहीं अंगों का पहाड़ बने हुए।
जीत हो या चाहे हो हार
आंखे जोश से भरे हुए।
मन में धधक रहा अटल विश्वास
शत्रु के रक्त से अस्त्र सब रंगे हुए।