राम
राम
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राम गुणों के सागर हैं ,
मर्यादा के पालक हैं।
सज्जन के रक्षक बनकर ,
दुष्टों के संहारक हैं।।
पितु आज्ञा के पालक हैं,
सकल श्रृष्टि के चालक हैं।
ऋषि मुनि के उपकारी बन,
गुरू आज्ञा अनुगामी हैं ।।
भ्रातृ प्रेम आदर्श राम हैं,
सीता के भर्ता सुखधाम।
तीनो माताओ के प्रियवर,
दशरथनन्दन रघुवर राम।।
केवट निषाद शबरी के प्रिय,
सुग्रीव बिभीषण अरु हनुमान ।
प्राणो से प्रिय सभी राम को,
राम इन्हे प्रिय प्राण समान ।।
सब को सुख दे कर पर सेवा,
जीवन जिया सदा श्री राम।
पुरजन परिजन दीन हीन की,
इच्छा के पूरक सुखधाम।।
