राजा का फरमान
राजा का फरमान
आधी काली रात को राज्य में फटा मुसीबत का बादल,
इधर उधर हर जगह टुकड़े टुकड़े पड़ा था बादल,
सुबह सुबह राजा जी आए,
अपने साथ सिपाही भी लाए,
सबने राजा जी को रात की बात बताई,
मुसीबत के बादल फटने की सारी कहानी सुनाई।।
सुनकर सारा हाल,
राजा जी को आया एक सुझाव,
राजा जी ने फरमान सुनाया,
गांव वालों की चिंता का हल बताया,
सब के सब काम पर लग जाओ,
इस मुसीबत के बादल का टुकड़ा टुकड़ा उठाओ।।
दूर जंगल में है एक कुआं पुराना,
सारे बादल के टुकड़ों को उस कुएं में डाल आना,
सब लग गए टुकड़े बटोरने के काम में,
राजा जी डूब गए आराम में,
सबके हाथों में मुसीबत थी,
जंगल की सड़क ज़रा अंधेरी थी।।
दूर तक देखा पर वो कुआं ना मिला,
लौट आए वापस वो सब हाथों में लिए मुसीबत के बादल का टुकड़ा,
राजा से सबने पूछा आखिर कहाँ गया वो जंगल का कुआं,
अब कैसे समेटे हम मुसीबत का ये जो बादल है फटा,
राजा बोला प्रजा जन ऐसा कोई कुआं नहीं,
मेरे राज्य में मुसीबत के बादल के लिए कोई सुझाव नहीं।।