राई का दाना
राई का दाना


झूठ का पर्वत है
राई के दाने सा
रिश्तों में बचा नहीं कुछ
अब उनको निभाने सा
जो अनमोल लम्हें थे
वो बेमानी हो चले हैं
सब लूट चूका इस
दिल का
जो भी था ख़ज़ाने सा
झूठ का पर्वत है
राई के दाने सा
तुम दो जहाँ के मालिक
तुम भी न समझा सके
खुद अपनी ही ताबीर को
ज़माने में जो रुसवा
हो चली है
उम्मीद मुहब्बत की
उस इश्क़ के फ़साने को
तुम खुद ही बनाकर
बन गए हो तमाशबीन
एक संगदिल बुत सा
झूठ का पर्वत है
राई के दाने सा
रिश्तों में बचा नहीं कुछ
अब उनको निभाने सा
जो अनमोल लम्हें थे
वो बेमानी हो चले है
सब लूट चूका इस दिल का
जो भी था ख़ज़ाने सा
झूठ का पर्वत है
राई के दाने सा
चाहत का क्या है
इब्दता है ईबादत की
बन्दगी है खुदाया
रूह -ए -इश्क़ है
सरमाया है किसी
हमसफ़र का
फिर भी सब बाज़ार के
चलन में गुमशुदा हो
चला है
खुदा भी सनम भी
सब इस हमाम में
एक जैसे स्वार्थ में घिरे है
कुछ नहीं बचा है
यहाँ दिलों में मुहब्बत सा
झूठ का पर्वत है
राई के दाने सा
रिश्तों में बचा नहीं कुछ
अब उनको निभाने सा
जो अनमोल लम्हें थे
वो बेमानी हो चले है
सब लूट चूका इस दिल का
जो भी था ख़ज़ाने सा
झूठ का पर्वत है
राई के दाने सा
कोई धर्म का नेता है
कोई भाषा का अनुयायी है
कोई पीर पैगंबर है
कोई संत बैरागी है
कोई दौलतमंद है
फिर भी दर्दमंद है
कोई फुटपाथ पर सोये है
फिर ईश्वर के पुजारी है
जो जितना गरीब है
वो अपनी मंज़िल के
उतना ही क़रीब है
सुख मिले सबको
कहाँ सबका नसीब है
जो जिसका रफ़ीक़ है
वो उसका रक़ीब है
कहाँ है सुकूँ दिलों में
कहाँ है दिलों में
कोई दिल - दिल सा
झूठ का पर्वत है
राई के दाने सा
रिश्तों में बचा नहीं कुछ
अब उनको निभाने सा
जो अनमोल लम्हें थे
वो बेमानी हो चले है
सब लूट चूका इस दिल का
जो भी था ख़ज़ाने सा
झूठ का पर्वत है
राई के दाने सा...