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ARVIND KUMAR SINGH

Others

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ARVIND KUMAR SINGH

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पुकार लें बढ़कर

पुकार लें बढ़कर

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मना कर बसा लें

दिल में दिलों को,

दिल से निकलकर

जो दूर होने लगे हैं...


पुकार लें बढ़कर

फिर क्‍यों न उनको,

बिछुड़ कर हमसे

जो खोने लगे हैं...


कर लिया भाई-चारा

जो फिर से सलामत,

तो प्रेम से गले लग

वो हमसे रोने लगे हैं...


ऊपर वाले ने नहीं

बताया कोई मुकर्रर,

बहुतेरे वक्‍त से भी

पहले सोने लगे हैं...


इसलिऐ मिटा दें

चलो दूरियां सभी,

और नफरत के बीज

जो भी बोने लगे हैं...


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