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दयाल शरण

Others

4  

दयाल शरण

Others

पथ प्रदर्शक

पथ प्रदर्शक

1 min
4


मंज़िल तक

पहुंचाने वाले

ख़ुद घर को

कब पहुंचोगे

धूप में जले

बारिश में भीगे 

सुकून ओढ़ 

कब सो लोगे


मंज़िल तक

पहुंचाने वाले....


राही का 

मकसद मंज़िल है

तुम केवल इक 

जरिया हो

अंगुली पकड़े

राह दिखा के

कब तक तुम

यूं जी लोगे


मंज़िल तक

पहुंचाने वाले....


ख्वाब सुनहरे

दिखलाएंगे

छांव तुम्हारी

सेकते लोग

नींद तुम्हारी

सो जाएंगे

तुम्हें उनींदा 

करके लोग


मंज़िल तक

पहुंचाने वाले....


कभी तो खुद में

खुद को खोजो 

क्यूं खुद से 

बिछड़े से हो ?

मुट्ठी खोलो

खुली हवा में

ताजा ताजा 

स्वांस तो लो 


मंज़िल तक

पहुंचाने वाले....


अपने घर के

दरवाजे पर

नाम जरा

अपना लिख लो 

खुद को दो

पहचान पुरानी

खुद को इक 

आईना दो


मंज़िल तक

पहुंचाने वाले....



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