परसा को झाड़
परसा को झाड़
ऋतुराज बसंत को
आगमन को बेरामा |
पान झळ परसाका
फुल लगत तोरामा ||१||
रंग सेंदरी फुल को
बन नैसर्गिक रंग |
करो पंचमी साजरी
तुमी सबकोच संग ||२||
लाल रंग दिस असो
लगी से झाड़ला आग |
फुल को रंग लगसे
खेल् से प्रकृति फाग ||३||
दिस आकार फुलको
जसी मिट्टु की चोच |
मुन नाव किंशुक बी
आय दुनियाकी सोच ||४||
एक देठपर ओको
रवसेत पान तिन |
मुन कहावत भयी
परसाला पान तिन ||५||
पान की बनावसेत
दोना अना पतराली |
पंगतमा जेवनकी
बात रव्हसे निराली ||६||
परसाका अदभुत
दिव्य औषधीय गुन |
करो प्रकृतीकी रक्षा
भेटे सबला सुकून ||७||
