प्रकृति का संदेश
प्रकृति का संदेश


हर पल देती है, संदेश भी नया देती हैं।
प्रकृति हैं अपार खुशियो का खजाना
जिसने जाना,सुदंरता को पहचाना।
कितनी अपार कितनी विशाल,
रखती हर पल जन जन का खयाल।
जगजननी हैं सुंदर प्रकृति,
देती हर जीव को आकृति।
हमारी यही पहचान,यही है शान।
करे सदा इसका सम्मान।
सुंदरता और बढ़ाये हम,
प्रकृति संग मुस्काये हम।
असीमित जब इसके भंडार,
तब हो सब नतमस्तक बारम्बार।
यहाँ आये हम कुछ संवारने,
कुछ सीखने,कुछ सीखाने।
हर तस्वीर कुछ बोलती हैं,
संदेश न
या कुछ देती हैं।
हर अधर पे मुस्कान बिखेरती हैं,
प्रेम संग कुछ संगीत देती हैं।
हर दिन हर पल नई सौगाते,
पैगाम नित नए हमे सुनाते।
जीवन की यह कला सिखाये,
कैसे कंटको के बीच मुस्काये।
जो जाना वो जीत गया,
मीत बिछड़ा जैसे मिल गया।
न भूले हम कि हम धरा के पूत,
मिटाने आये सब भवकूप।
जगना हैं और जगाना हैं,
मुस्कान हर मुख पर सजाना हैं।
तो चलो आज प्रकृति सवारे,
गीत नया सब मिल के गा ले।
संवारेंगे हम है जहाँ,
खुशियां हो जहाँ जहां जहाँ।।