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Kapil Jain

Others Romance

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Kapil Jain

Others Romance

प्रिय चाँद...

प्रिय चाँद...

1 min
14K


... ••••• प्रिय चाँद •••• हमेशा की तरह , आज भी अलसायी भोर का प्रभात देखता... बीती शाम ढलते सूरज के संग , उदास रंगों के आसमान में बिखरते आता और सोचता उन शामों के बारे में , जब तुम मेरे साथ हुऐ... ऐसा लगा कि मैं तेरे रंगों को मेरे चेहरे पर अपने प्यार के साथ घुलते हुए देखता .... सच में वो तेरी चाँदनी की बात है जब तेरी शीतलता मे नहाकर शहर की गलियों में घूमता वो झील के बहते पानी में तेरे अक्स को देखना .. लम्बी लम्बी सड़कों पर बिना किसी मंजिल के दूर तक बहते चले जाना और वो अनजान राहों की , फूलों की झुकी हुई डालियों पर तेरे प्यार को ठहरा हुआ देखना सिहरन,ख्वाब,और पानी के साथ रुह तक तुझे मिक्स करना और ज़िन्दगी के रुमानी हुए पलों में तुम्हे अपनी यादों की गिरह में कैद कर लेना ... सब कुछ ख्वाबों की बात सी लगती क्या तुम्हे भी वो सारे लम्हे याद है , जब तुम्हारी चाँदनी मेरे नाम थी , तुम्हारी शीतलता भी मेरे साथ थी , जब मे तुम्हें देखता रात्रि के अद्भुत क्षणों में .. पर भोर के होते होते मैं बहुत उदास हो जाता तुम बहुत याद आते हो मुझे बस साँझ का इन्तेज़ार रहता है आ जाना प्रिय चाँद मुझे तेरा इन्तेज़ार रहता है ...


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