प्रेम
प्रेम
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प्रेम ऐसा हो कि,
जिसमें एक धरती तो दूजा आसमान हो।
जिसमें मिलने की नाउम्मीदी में भी,
दूर से एक-दूसरे का दीदार हो।
प्रेम ऐसा हो कि,
जिसमें एक नदिया तो दूसरा सागर हो।
जिसमें मिलन की तीव्रता में,
एक का दूसरे के अस्तित्व में विलय हो।