तुम्हारी आदत
तुम्हारी आदत
1 min
16
तुम्हारी दुनिया का आरंभ और अंत घर है ,
तुम कहते और मैं मान जाती थी ।
मेरी सुनने की आदत और तुम्हारे कहने की आदत ,
अब मैं सुनती नहीं ,लेकिन तुम्हारे कहने की आदत जाती नहीं ,
मैंने अपनी आदत बदली है ,
अगर साथ है चलना तो ,
तुम भी अपनी आदत बदल डालो ।