Dr Hemant Kumar

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पिता (दस क्षणिकाऐं)

पिता (दस क्षणिकाऐं)

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(एक)

पिता

विशाल बाहुओं का छत्र

वट वृक्ष

हम पौधे

फलते-फूलते

वट वृक्ष की

छाया में।

000

(दो)

पिता

अनन्त असीमित आकाश

हम सब उड़ते

नन्हें पाखी।

000

(तीन)

हम

लड़खड़ाते

जब कब भी

संभालते पिता

आगे बढ़ कर

बाँह पसारे।

000

(चार)

आँसू

बहते गालों पर

ढा‌ँढस देता

पिता के खुरदुरे

हाथों का स्पर्श।

000

(पांच)

पिता

बन जाते 

उड़नखटोला

हम करते हैं सैर

दुनिया भर की।

000

(छः)

हमारी ट्रेन

खिसकती प्लेटफ़ार्म से

पिता

पोंछ लेते आँसू

पीछे मुड़कर।

000

(सात)

पिता

बन जाते हिमालय

कोई आक्रमण

होने से पहले

हम पर।

000

(आठ)

जब भी

आया तूफ़ान कोई

हमारे जीवन में

पिता

बन गये

अजेय अभेद्य दीवार।

000

(नौ)

पिता

बन गये बांध

समुन्दर को

बढ़ते देख

हमारी ओर।

000

(दस)

पिता

बन गये बिछौना

हमें नंगी जमीन पर

सोते देख कर।

000

 

 


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