फूले पलाश
फूले पलाश
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झरे पात पतझड़ में
सूनी हो गईं डालियां
ऋतुराज ले आया बहारें
फूल उठी हैं कलियाँ
अंबर में ऊषा की लाली
पेड़ों पर सुर्ख पलाश
कुछ झर कर धरती बिछे
चहूँ और लाल ही लाल
दहकते अंगारों जैसे
मखमली लाल पलाश
अनुराग भर रहे मन में
नव पल्लव के पात
सुर्ख होती फुगनियों पर
चहकते पंछियों का शोर
नव प्रसून खिले उठे
लो आई बसंती भोर
सूरज की किरणों से
दहक उठे सुर्ख अंगारे
चली फागुनी बयार
उमंग हर मन में भरने
खिले पलाश वन-वन
प्रकृति खिली कण-कण
डाल डाल फूले पलाश
बह रही बसंती बयार
मन में भरता उल्लास
अनुराग भरा यह मधुमास
