फरियाद।
फरियाद।
हे ! परम पिता, परम गुरु ! परम कृपा मुझ पर कीजिए।
असीमित दया मुझ पर करना, चरण रज अपनी दीजिए।।
डूबा रहता भवसागर में, भव पार मुझको कीजिए।
अधमता बस कुछ अच्छा नहीं होता, महा पतन से मुक्ति दीजिए।।
आशीष रूपी दवा देकर, मेरा परम कल्याण कीजिए।
अशांत मन की दवा तुम हो, चिर शांति मुझको दीजिए।।
दर्शन दे कृतार्थ तो कर दो, मुझको अपना बना लीजिए।
सर्वव्यापी है आपकी महिमा, निज भक्ति का वर दीजिए।।
भव रोग ग्रसित मैं तड़प रहा, भवतारण वन हर लीजिए।
यही कारण अवतरित हुए तुम, उद्धार मेरा अब कीजिए।।
शर्मसार हूँ मुखातिब होने से, अपने से वंचित न कीजिए।
" नीरज, की "फरियाद, है तुमसे, अपने चरणों में जगह दीजिए।।
