फरीयाद
फरीयाद
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आजकल जिंदगी से सभी को,
कोई ना कोई फरियाद हैं
संबंध में ज़हर भरा है
भावना लुटाकर भी देख लो
पर बेगाने हो जाते हैं
भाई भाई को फरियाद हैं
मिलकत का मामला दर्ज है
हर रिश्ते में फरियाद है
सुर्ख क्षणिक सा लगता है
शर्म नाम की चीज नहीं है
अपने अहंकार को
बढ़ाकर
भस्म कर दे पल में सब रिश्ते
क्रोध वो तेज़ाब है
यह कोई समझना नहीं चाहते
ज़ुल्म सहते है
बेबस और लाचार
लुटा रहा सारे रिश्ते नाते
सत्य की जय देखे
न्याय कब मिलेगा
हर तरफ फरियाद हैं..।।
