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MITHILESH NAG

Others

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MITHILESH NAG

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फिर याद रहे बसन्त हमारे

फिर याद रहे बसन्त हमारे

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साथ चले जब मौसम राही

कभी बदल गए मौसम यही

फिर याद रहे वसंत हमारे ।।


बचपन की वो लोरी सुन कर

नानी,दादी की वही कहानी

ठंडी ठंडी पवन पुरवईया 

फिर याद रहे वसंत हमारे ।।


खेतों की वो मीठी खुशबू मन में

जब याद करे चले गली मोहल्ले में

गाँव की वो वो यादें लेकर

भले चले शहर में बातें

फिर याद रहे वसंत हमारे ।।



साहित्याला गुण द्या
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