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MITHILESH NAG

Others

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MITHILESH NAG

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बात बड़ी पुरानी है

बात बड़ी पुरानी है

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बात बड़ी पुरानी है

बचपन मेरी कहानी है

दादी की गोद मे सोई हुई

खेल- कूद के बड़ी हुई

बात बड़ी पुरानी।


बसन्त की बेला में जब 

ढूढ कर फूल लिये कब

शाम ढले रात खिले

वो हवाएं साथ मिले

बात बड़ी पुरानी है।


सुबह की ठंडी हवाएं 

बसन्त ऋतु की आगमन

छूट गए वो मौसम

जिसको देख रही हूँ।


नए सवेरा नए किरणों से

स्वागत देख रही हूँ 

बात बड़ी पुरानी है।


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