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MITHILESH NAG

Others

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MITHILESH NAG

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वसंत का पहला दिन

वसंत का पहला दिन

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सुबह की वो पहली बूंदे

धरती पर जब गिर जाएं,

वसंत का पहला दिन 

जब आये मेरे दिल को भाए,

सूखी पेड़ों की टहनी मूर्छित 

पड़े देख मन घबराए,

सुबह की वो पहली बूंदे

धरती पर जब गिर जाएं ।।


कैसे बीते इनकी रतिया

जब आ जाए वसन्त बहार की,

कभी बच्चों के मन की यादें

कभी सूरज की लाली भाए,

फिर कहते है दौड़ पड़ी 

महके फूलों की खुशबू,

सुबह की वो पहली बूंदे

धरती पर जब गिर जाएं ।।


दिन की लाली को गहरे रंग में

झूमते गाते मस्ती में खेतों में,

फिर से ले आये नई नई कलियां

देख दिल पेड़ों का दिल झूमा जाए

सुबह की वो पहली बूंदे

धरती पर जब गिर जाएं ।।


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