मन मे मौसम गयो रे
मन मे मौसम गयो रे
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टिप टिप कर के आयो रे
मन में मौसम गयो रे
कभी बसन्त की बेला में
मेढक के आवाज़ों के रेला में
मन में मौसम गयो रे ।।
पनघट पर सखियों भी बावरिया घूमे रे
छम छम पायल की आवाज़ खनके रे
तिनके तिनके बही जा रही है
बसन्त तेरे दिल मे आयो रे
मन में मौसम गयो रे ।।
नदिया पर्वत, झूम झूम कर नाचे रे
बच्चे, बूढ़े घूम घूम घर में खुशिया मांगे रे
फिर भी बसन्त ऋतु में भाए
मन में मौसम गयो रे ।।
