फिर भी मै पराई हूँ
फिर भी मै पराई हूँ
कैसी ये दुनिया है हरजाई
जिसने ये एक शब्द बनाई
मै कौन हूँ घर कहाँ है मेरा
सब कहते मुझको तो पराई
जब मै इस धरती पर आई
सबकी लाड़ से मै मुस्काई
सब ने फिर मुझे याद दिलाया
लड़की तो होती है पराई
ये क्या अम्मा तु ही बता दे
तु तो अपना राज जता दे
या तुझमे भी वही बात समाई
तु भी मुझको कहे पराई
फिर सब ने मुझे किया विदाई
साजन के घर डोली चढ़ आई
सबसे मिलजुल घर तो बसाई
फिर भी मै कही गई पराई
ये भी पिया का घर कहलाई
ससुराल मे भी मै कही गई पराई
भगवान ने ही ये नियम बनाई
औरतों के लिये घर कहाँ बनाई
