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Aditi Vats

Children Stories Inspirational

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Aditi Vats

Children Stories Inspirational

पास या दूर

पास या दूर

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आज मेट्रो स्टेशन के सामने बैठने का मौका मिला। एक दोस्त से मिलने निकले वो लेट तो हम वहीं उनका इंतजार करने लगे। तभी एक छोटी सी बच्ची पास आकर हाथ फैलाती है और पैसे मांगती है। मैंने मना किया तो ऐसे देख रही थी मानो मैंने कोई गुनाह कर दिया। वो चिढ़ कर थोड़ी सी दूर बैठी उसकी मां के पास गई। वो चार पांच बच्चे और थे और वो मां उन्हें भीख मांगना सिखा रही थी। उस लड़की ने बीस के दो नोट उनके हाथ में थमा दिए और फिर मांगने निकल गई। उनकी मां ने जो 3-4 छोटे बच्चे उसके अलावा उन्हें दुकान से चिप्स लेकर उन्हें थमा दिए।

और पेट भर लिया अपना, बिन कुछ खाए!

फिर थोड़ा सा अपनी सीधे हाथ की तरफ़ में नजर घुमाई और देखा की एक बुजुर्ग जिनकी उम्र लगभाग सत्तर के आस पास होगी, वो एक खंभे का सहारा लेकर बैठे हैं। उन्होंने कुर्ता पायजामा पहनना हुआ और एक केसरी रंग का फटका लिया हुआ था और हाथ फेलाये बैठे थे। उनको देखा ऐसा लगा मानो जैसे कोई लाचार बाप बैठे हैं जिनके बच्चों ने उन्हें बेघर कर दिया हो।

मुझे नहीं मालुम मेरा अंदाज़ सही है या नहीं मगर एक चीज है हम जैसे जैसे टेक्नोलॉजी के पास आ रहे हैं, अपने संस्कारों और अपने से दूर हो रहे हैं।


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