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नववर्ष

नववर्ष

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देकर यादों की सौग़ात

बीत गया यह भी साल

हासिल करने ढ़ेरों खुशियाँ

सपनों के बुनते रहें जाल।


कभी खो दिया यहाँ कुछ

कभी किसीने सब पाया

खूब हँसे खुशी के पल में

कभी ग़मने हमको रुलाया।


आगे बढने का नाम हैं जीवन

नहीं जोर किसीका वक्त पर

मुश्किलें चाहे रोके ये रास्तें

रुकना नही कभी भी डरकर।


पिछले साल की तुलना में

नई विचारधारा को लेकर

भूला दे कडवाहट की बातें

मिठास अपनेपन की देकर।


हर रिश्ता अनोखा है होता

चाहे दूर हो कोई या पास

विश्वास और प्यार के साथ

मिलकर बनता है वो ख़ास।


दिलों की मिटाकर

स्वागत करें नववर्ष का

आशाएं हो पूरी सबकी

हर दिन रहे उत्कर्ष का।


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