अरविन्द त्रिवेदी
Others
दीप्त होकर सूर्य देखो गान मंगल गा रहा
कुछ हसीं पल बाँध नूतन साल देखो आ रहा
व्यर्थ की चिंता तजो नववर्ष का स्वागत करो
संग अपने यह नवल इतिहास स्वर्णिम ला रहा।
मैं भी किसान ...
मैं शुष्क भूम...
भारत देश हमार...
हमसफ़र
ग़ज़ल
शिव स्तुति
मुक्तक
शब्द
राम
स्त्री