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नविता यादव

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नविता यादव

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नवसंचार

नवसंचार

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प्रातः काल भास्कर रश्मि कर गई रोशन जहां

चिड़ियों की चहचहाहट,मधुर कर गई जहां,

नीलांबर, ऊंचे - ऊंचे पर्वत देते संदेश यहां,

छल - छल गिरते झरने ,बोले कर्तव्य पथ पर बढ़ता जा।।


प्रकृति सौंदर्य का स्वरूप अवर्णनिय

हर पग, हर थल परिवर्तन प्रदर्शनयां

बसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर

हर ऋतु का अनुभव स्मरणीय।।


बसंत ऋतु जन जन नव जीवन निर्माण

सुगंधित पवन, भवरों को फूलों से प्यार,,

नर - नारी, पशु पक्षी, वन उपवन गाये मंगल गान

प्रकृति का हर एक कोना दिखे शोभायमान।।


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