नवरात्री
नवरात्री
मां की शुभ नवरात्रि है आई,
झोली भर के खुशियां लाई।
कर लो नवदुर्गा का वंदन,
मां दुर्गा तो है कष्टभंजन।
प्रथम दिवस मां शैलपुत्री के नाम,
पूरण करती है यह सबके काम।
दूजे दिन हो ब्रह्मचारिणी पूजा,
कुमारीका रूप है यह पार्वती का।
तीसरी नवरात्रि पूजा चंद्रघंटा,
नित कष्ट दूर करें मां सबका।
मां कुष्मांडा है चौथा रूप,
आयु ,यश, बल मिले स्वरूप।
पंचम है स्कंदमाता देवी,
धरो ध्यान तो मोक्ष ये देती।
षष्ठी रूप है मां कात्यायनी का,
रोग ,शोक हरे यह सब का।
सप्तमी को पूजो तुम कालरात्रि,
जादू -टोना मां नष्ट कर देती।
आठवां दिवस मां महागौरी का,
कार्य असंभव सिद्ध होता यहां।
नवमी का दिन मां सिद्धिदात्री का,
पूजन से इनके काम सुगम बनता।
मां के नौ रूपों की कर लो पूजा,
मां दुर्गा जैसा कोई नहीं है दूजा।
नया साल लेकर नवरात्रि आयी,
मां कै आशीष से बने सुखदायी।