नशा मुक्ति।
नशा मुक्ति।
साहेबान मेहरबान कदरदान
धूम्रपान हो या मदिरापान
इन सब से हो जाए सावधान
इससे तो अच्छा है चबाएँ मीठा पान।
नशा में क्या है रखा
तू सिर्फ़ इज़्ज़त शोहरत पैसा है फुँकता
बीमारी को तू पास बुलाता
अपनो को तू श्मशान पहुँचाता।
करेगा धूम्रपान तो हो जाएगा फेफड़े का कल्याण
करेगा मदिरापान तो लगाएगा कैन्सर का दुकान ।
ये तो घेरा कुआँ है
इसमें जाने वाला लोट के ना आएगा
देख तेरी बीवी को तू विधवा बनाएगा
देख तेरे बच्चों को तू अनाथ बनाएगा।
होगा तू कोई करोड़पति
होगा तेरा भी सितारा उज्ज्वल
जो तू पड़ गया इस नशे की लत में
तू खाएगा दुनिया से लात हर हद में।
आसान है जाना नजदीक मधुशाला के
मुश्किल है जाना दूर ये धूम्र शाला के
तेरी आबरू है तेरे हाथ में बचा ले इसे
नहीं तो बनेगा पात्र थू-थू करवाले मुँह पे।
पड़ा होगा कोई हॉस्पिटल में कैन्सर लीवर के बीमारी से
जूझ रहा होगा तेरा दर्द से बदन पाने को मुक्ति
ना मौत मिलेगी ना मिलेगी ज़िन्दगी
तड़पेगा कोसेगा खुद को संभल जा रे ज़िद्दी।
जो कर दे ज़िन्दगी बर्बाद वो आदत बुरी है
छोड़ दो नशा ये चीज़ बहुत बुरी है।