नहीं चाहिए ऐसा प्रेम..
नहीं चाहिए ऐसा प्रेम..
तुम्हारे पसंद के कपड़े पहनूँ
वो चूड़ी जो तुम्हारे पसंद का हो
वहीं बड़ी बड़ी बिन्दी जो तुम लाते हो,
बालों को वैसे ही गूंथा करो
जैसे मुझे पसंद हो,
सुबह की चाय फिकी नहीं होनी चाहिए
फिकी चाय ..चाय कम दवा ज्यादा लगता है,
जब मैं कहूं तत्काल आ जाओ..!
सब कुछ तुम्हारी मर्ज़ी से हो
सब कुछ तो कह दिया तुमने
फ़िर कहते हो मैं स्वतंत्र हूं तुम्हारे घर में
प्रेम करते हो तुम मुझसे, कोई बंधन नहीं है
तुम बताओ..
क्या यही प्रेम है ..?
अगर हाँ तो ..
तुमको मुबारक तुम्हारा जहां
मुझे नहीं चाहिए ऐसा प्रेम...!!!!!
