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Arun Gode

Others

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Arun Gode

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नेताओं का बंदी अस्त्र

नेताओं का बंदी अस्त्र

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जब विश्व में नहीं होती हैं आर्थिक मंदी,

नेता हो जाते गतिमान और अति-आनंदी।

बस अभी तो उगलना हैं जनता से सोना-चंदी,

नेताओं के सम्मेलन में बनती इसपर जुगल बंदी।


सम्मेलन का एकमात्र रहता एजेंडा बिंदी,

अब कौन सी लानी हैं आम जनता पर बंदी।

बनती हैं चतुर, भ्रष्ट नेताओं की गुटबंदी,

सुझाव के लिए लेते हैं नेतागण समय बंदी।


नेताओं के चर्चा में होती हैं भिन्न-भिन्न बंदी,

कभी नसबंदी, नशाबंदी और मोर्चा बंदी।

नेताओं में बन जाती इन बातों पर रजामंदी,

कालेधन ,भ्रष्टाचार को मिटाने की होगी बंदी। 

राज-नेताओं दिखती जब खाली राजनीतिक हंडी,

नेता ढूंढते हैं नई-नई स्त्रोतों की अनोखी पगडंडी।

जनता के नोटों और होटों से भरनी होती खाली हंडी,

फिर बंदी के लिए दिखाते प्यारे नेता हरी झंडी। 


प्यारे नेता करते आम जनता से जुगलबंदी,

देशहित में हैं नसबंदी , नशाबंदी व रिश्वतबंदी।

जब भर जाती सोने- चांदी से नेताओं की हंडी,

गुम हो जाती हैं नसबंदी, नशाबंदी व रिश्वतबंदी।


जनता दशकों से झेल रही यह गोरख-धंधा,

सभी नेताओं का भूल भुलैया खेल हैं बंदी। कभी ये बंदी, तो कभी वो बंदी, 

आम जनता पर अचानक आती हैं नोटबंदी।


परेशानियों से भरी पड़ी है जनता की पगडंडी,

रोजी-रोटी को छोड़ के चंद नोटों के लिये,

जब ए.टी.एम में सहनी पड़ती उसे कड़ाके की ठंडी ,

जब देश में लागू होती हैं अचानक नोटबंदी।


हैरान हैं हर कोई सोचता खड़ा, कतार में ना नेता, ना अमीर खड़ा।

जिंदगी गुजारने के लिए, ए.टी.एम सिर्फ दिखता आम-आदमी खड़ा।


नेताजी बड़े प्यार से जनता को समझाते,

कालाधन, भ्रष्टाचार लाता हैं आर्थिक मंदी।

अगर चाहिए सिर्फ विकास और आर्थिक -आजादी

आर्थिक-मंदी का एकमात्र समाधान हैं नोटबंदी।


सरकार ने लगाई जनता पर पाबंदी,

आम आदमी हुआ अकारण विचारमंदी।

माना देशहित में घोषित हुई हैं नोटबंदी,

लेकिन जनता को सहनी पड़ी चोटबंदी। 


देश के किसानों ने अकारण झेली फसलबंदी,

दिहाड़ी मजदूर के लिए हुई रोटीबंदी।

क्या नोट बंदी से रुकेगी आर्थिक मंदी,

या नोटबंदी लायेगी रोजगार की महामंदी। 

क्या सोची- समझी कूटनीति हैं नोटबंदी,

आम जनता के गाढ़ी कमाई की ऐसी बर्बादी।

या नेताओं सेंकनी हैं सिर्फ राजनैतिक रोटी,

जो सिर्फ भरेगी नेताओं की नोटों-वोटों की हंडी।



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