नेग रिवाज
नेग रिवाज
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शब्दों ने रची रुप रेखा
कच्चे मन के
ख्यालों को जुबां ने चखा तो
कैक्टस जैसे शब्द
दर्द की तरह छाती
में ठहर गए और
सुकून की करवट
बदल दी
कुछ ऊँचे, रंजिशों वाले
शक्कर की मिठास में
लिपटे शब्द
जुबां को ही उखाड़
फेंक दिया
जुबां कोई मंत्र पढ़ रहा थी
मिठा सा
मिठास थी उसमें
मिठाई ही तो थी
बिल्कुल बंगाली मिठाई
संदेस सी
कि पड़ोसीयों ने एक दूसरे
को कोई फूंक कर बेगानों
को लाल रंग में रंग दिया।
