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Dr.Padmini Kumar

Others

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नदी की आत्मकथा

नदी की आत्मकथा

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पहाड पर बरसाती हूं


झरना बनकर गिरती हूं


समतल पर बहती हूं


जीवजंतुओं से मिलती हूं


धीरेधीरे विदा लेती हूं


सागर में डूबती हूं


डेर सारे संपत्ती।


ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
ଲଗ୍ ଇନ୍