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नारी

नारी

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वो जल गई जलते-जलते,

एक शहर रोशन कर गई।

जला दिया खुद को,

खुद के अस्तित्व को,

ख़ाक बन गई,

फिर भी न जाने क्यों

वह दुनिया के लिये अभिशाप बन गई।

जिसकी रोशनी से है रोशन,

आज शहर के परिवार सभी,

वह कोई और नहीं नारी रूप में

माँ, बहन, और पत्नी है वही !


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