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Sonam Kewat

Children Stories Tragedy

4  

Sonam Kewat

Children Stories Tragedy

नानी का घर

नानी का घर

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गर्मी की छुट्टियों के बाद 

हम नानी के घर जाया करते थे 

वो दौड़ कर आतीं थीं और 

हम उन्हें गले लगाया करते थे 


वो हमारी पसंद का हलवा बनातीं  

अपने हाथों से परोस खिलाती थीं 

बस यही छोटी-छोटी बातें हैं जो 

हमारा दिल जीत जाती थीं 


सारी खुशियां एक तरफ और

नानी की कहानियां एक तरफ

बहुत से प्यार करने वाले देखें पर

नानी का दिया हुआ प्यार एक तरफ


हम नानी नानी रटते रहते 

वो भी हमारे इर्द-गिर्द रहती थीं 

जाने का वक्त आता था तो 

दो दिन और रुको कहती थीं 


हमारी नानी अब नहीं रहीं 

आंगन में उदासी सी छाई हैं

हर कोना सूना सा लगता है 

यादों में भी उनकी परछाई हैं


बिन नानी के नानी का घर कैसा 

उसे घर कहना सच्चा नहीं लगता 

यादें तो जिंदा ही रहेंगी पर अब

उनके बिना वहां अच्छा नहीं लगता



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